हाल ही में एक धार्मिक कार्यक्रम के दौरान स्वामी रामभद्राचार्य ने बाल संत अभिनव अरोड़ा को उनके व्यवहार के कारण मंच से नीचे उतार दिया, जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। इस घटना पर विभिन्न यूजर्स ने अपने-अपने तरीके से प्रतिक्रिया दी है, जिससे यह मामला और भी चर्चा का विषय बन गया है।
अभिनव अरोड़ा, जिन्हें ‘बाल संत’ के नाम से जाना जाता है, ने स्वामी रामभद्राचार्य की सभा में भाग लिया। वीडियो में देखा जा सकता है कि वह मंच पर खड़े होकर संगीत का आनंद ले रहे हैं और ताली बजाते हुए इंस्टाग्राम के लिए वीडियो बनाने का प्रयास कर रहे हैं। हालांकि, जब वह स्वामी जी द्वारा किए गए ‘राजा राम चंद्र भगवान की जय’ के जाप का अनुसरण करने लगे, तो स्वामी जी को यह बर्ताव उचित नहीं लगा। उन्होंने अभिनव को मंच से नीचे जाने के लिए कहा। स्वामी जी ने कहा, “इनको नीचे कहो जाने के लिए,” जिसके बाद मंच पर मौजूद सेवादारों ने तुरंत अभिनव को वहां से हटा दिया।
अभिनव अरोड़ा के माता-पिता का कहना है कि उनका बेटा आध्यात्म की ओर अग्रसर है और उसकी इस दिशा में गहरी रुचि है। अभिनव एक 10 वर्षीय स्वयंभू भक्त हैं, जिन्हें अक्सर सार्वजनिक समारोहों में देखा जाता है और वे सोशल मीडिया पर भी आध्यात्मिक वीडियो साझा करते हैं। इसके बावजूद, इस बार उन्हें स्वामी रामभद्राचार्य की सभा में वह तवज्जो नहीं मिली, जिसकी वे अपेक्षा कर रहे थे।
वीडियो में दिखता है कि अभिनव स्वामी जी के करीब जाने की कोशिश कर रहा है और विभिन्न एंगल से वीडियो बनाने के प्रयास में है। जब स्वामी जी जाप कर रहे होते हैं, तब अभिनव भी उनका अनुसरण करता है। स्वामी जी ने पहले ही एक बार कहा था कि वह नीचे जाएं, लेकिन जब अभिनव ने उनकी बात नहीं मानी, तो स्वामी जी ने सख्ती से कहा कि यह उनकी मर्यादा का मामला है।
इस घटना पर लोगों की प्रतिक्रियाएं सोशल मीडिया पर आ रही हैं। कई यूजर्स ने अभिनव के व्यवहार को ओवर एक्टिंग करार दिया और कहा कि स्वामी जी ने सही समय पर उन्हें सही रास्ता दिखाया। इस मामले में रोशन राय नामक एक यूजर ने वीडियो शेयर किया, जिसमें लोगों के कमेंट्स पढ़े जा सकते हैं।
यूजर्स ने अपने कमेंट्स में अभिनव के आचरण की आलोचना की है। कुछ का मानना है कि यह बच्चे की मासूमियत है, जबकि अन्य इसे धार्मिक मर्यादाओं का उल्लंघन मानते हैं। एक यूजर ने लिखा, “अभिनव को समझना चाहिए कि यह कोई शो नहीं है।” वहीं, कुछ लोगों ने स्वामी जी के निर्णय का समर्थन किया और कहा कि धार्मिक स्थलों पर अनुशासन बनाए रखना जरूरी है।
इस पूरे प्रकरण ने एक बार फिर से यह सवाल खड़ा किया है कि क्या बच्चों को इस तरह के कार्यक्रमों में अपनी मौजुदगी के दौरान सही तरीके से पेश आना चाहिए या नहीं। इस घटना से यह भी स्पष्ट होता है कि धार्मिक कार्यक्रमों में अनुशासन और मर्यादाओं का पालन कितना आवश्यक है।
इस प्रकार, स्वामी रामभद्राचार्य और बाल संत अभिनव अरोड़ा के बीच हुए इस छोटे से प्रकरण ने समाज में एक बड़ा सवाल खड़ा किया है। जहां एक ओर स्वामी जी ने अपने धर्म का पालन करते हुए अभिनव को मंच से हटाया, वहीं दूसरी ओर, इस घटना ने सोशल मीडिया पर लोगों को अपनी राय व्यक्त करने का अवसर भी दिया।
अभिनव की इस घटना के बाद यह भी देखने में आया है कि बच्चों को सोशल मीडिया पर अपनी पहचान बनाने की होड़ में किस तरह की सावधानियों का पालन करना चाहिए। कहीं न कहीं, यह घटना हमें यह सिखाती है कि भक्ति और आध्यात्मिकता का प्रदर्शन भी एक सीमा में रहकर किया जाना चाहिए।
अभिनव अरोड़ा का यह मामला न केवल व्यक्तिगत बल्कि सामाजिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। इसने सभी को एक बार फिर से सोचने पर मजबूर किया है कि धार्मिक अनुष्ठानों में क्या किया जा सकता है और क्या नहीं। इस प्रकार, यह घटना समाज में एक महत्वपूर्ण संवाद का आरंभ कर सकती है, जो धार्मिक अनुशासन, बच्चों की शिक्षा और सामाजिक मीडिया के प्रभाव पर आधारित हो।